VALUE OF LITERATURE – UNMESHA 2023
নিজে নিজে সন্ধান করা ও আবিষ্কার করা সত্যকার আনন্দ “Nije nije sandhan Kara o abhiskaar Kara satyokar anondo” … in exploring and discovering by yourself lies the real joy
Therein lies the true value of literature, as described in such simple yet profound terms by Rabindranath Tagore. After all, literature is all about exploring and discovering – the past, the present and the future; the self and the other; the world within and the one beyond.
आख़िरकार, साहित्य तलाश और अन्वेषण ही तो है- अतीत, वर्तमान और भविष्य का; स्वयं और अन्य का; अपनेअंदर की दुनिया और बाहर की दुनिया का।
A work of literature can be valuable in so many ways to an individual. Let us start by listing a few…
Literature has – (साहित्य का प्रभाव हम पर)
Entertainment value – It is a great way to pass the time
मनोरंजन स्तर पर – समय बिताने का एक बेहतरीन माध्यम है।
Political value – It can change the way we live with and influence each other.
राजनीतिक मूल्य – यह हमारे रहने के तौर तरीके में बदलाव ला सकता है और एक-दूसरे के साथ को प्रभावित करने में सामर्थ्य है।
Artistic value – It helps us contemplate the nature of beauty and human creativity
कलात्मक मूल्य -यह हमें सौंदर्य बोध, प्रकृति और मानवीय रचनात्मकता को विकसित करने तथा उसमें एक नई सोच विकसित करनेमें मदद करता है।
Cultural value – It sheds light on the place and time of the author and the work
सांस्कृतिक मूल्य – यह लेखक की रचना धर्मिता उसकी कृति के स्थान और समय को उजागर करता है।
Historial value – It helps us know the past, comprehend the present, and prepare for the future
ऐतिहासिक मूल्य -यह लेखक की रचना धर्मिता उसकी कृति के स्थान और समय को उजागर करता है।
Philosophical value – It explores human knowledge, how we know and what we know.
दार्शनिक मूल्य – यह हमें अतीत में झांकने, वर्तमान को समझने और भविष्य को बुनने में मदद करता है
Moral value – It teaches a lesson that will inspire us to live a better life
नैतिक मूल्य – यह हमें जीने का सबक सिखाता है जो हमें बेहतर जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है।
Ethical value – It helps us ask questions related to good and evil.
मूल्यबोध – यह हमें अच्छे और बुरे का बोध करवाता है ताकि हम उससे संबंधित प्रश्न पूछने में सामार्थ्यवान हो सके।
And, above all, literature can touch our innermost being.
As described so evocatively by WB Yeats in his Introduction to Tagore’s Gitanjali.
I have carried the manuscript of these translations about with me for days, reading it in railway trains, or on the tops of omnibuses and in restaurants, and I have often had to close it lest some stranger would see how much it moved me.
क्या कभी किसी महान साहित्यकार ने दूसरे साहित्यकार के लिए इससे अधिक भावपूर्ण श्रद्धांजलि लिखी है?
जीवन को समझने में साहित्य की बहुत बड़ी भूमिका है
स्वयं अच्छे साहित्यिक कार्यों से रूबरू होना, किसी को सर्वोत्तम शिक्षा प्रदान करने के समान है। यदि आप अच्छेसाहित्य के संपर्क में नहीं आते है तो उसका तात्पर्य है कि स्वयं को विकसित होने के अवसर से वंचित कर रहे है।
महान साहित्यिक और काव्यात्मक कृतियों को पढ़ने से ही व्यक्ति जीवन को समझ सकता है। अच्छा साहित्य हीव्यक्ति को जीवन के विभिन्न पहलुओं को करीब से देखने में सहायक होता हैं। सही मायनों में, साहित्य अपनेविभिन्न रूपों में, जीवन जीने के प्रति नजरिए को बदल सकता है। महान लोगों की जीवनियां, आत्मकथा, साहस, बलिदान और अच्छे मूल्यों की वास्तविक जीवन की कहानियां हमेशा ही प्रेरणादायक होती है।
साहित्य ही वह माध्यम है जिसके द्वारा हम समय के पीछे जाकर उस समय के काल खंड को जी सकते है। साथ हीहमसे पहले पृथ्वी में जो आए थे उनकी बातों को सीखने-जानने का अवसर भी साहित्य ही देता है। हम संस्कृति कीबेहतर समझ पा सकते हैं और इसकी सराहना कर सकते हैं।
साहित्य का विराट स्वरूप है, गद्य, कविता, नाटक, निबंध, कथा, दर्शन, कला, इतिहास, धर्म और संस्कृति परआधारित साहित्यिक कृतियां इसके साथ-साथ वैज्ञानिक और कानूनी लेखन को भी साहित्य के अंतर्गत वर्गीकृतकिया गया है। पुराने समय की रचनात्मक कथेतरता और साहित्यिक पत्रकारिता भी साहित्य के अंतर्गत शामिल है। लॉजिस्टिक्स और गणित जैसे कुछ बेहद तकनीकी लेखन को भी साहित्य का हिस्सा मानाजाता है।
कुछ महान साहित्यिक कृतियाँ जैसे बाइबिल और भारतीय महाकाव्य जैसे रामायण और महाभारत आदि समाजको, जीवन के मार्गदर्शक सिद्धांत प्रदान करती हैं। विवेकानन्द और प्लेटो जैसे दार्शनिकों की कृतियाँ; शेक्सपियर केसॉनेट, टैगोर, निराला और वर्ड्सवर्थ की कविताएं अधिकांश सभी रचतनाएं कालजयी हैं। जो हर काल में प्रासंगिकहै। कुछ साहित्यिक और काव्य रचनाएं जीवन का मर्म बताती है, सीख देती हैं, वहीं कई अन्य रचनाएं हमें सोचनेपर मजबूर करती हैं। साहित्य के पाठकों के मन में इन रचनाओं का सीधा और गहरा प्रभाव पड़ता है। जिसकाप्रभाव जीवन पर भी नजर आता है।
Literature Helps us Deal with Life Better
Let me turn the page back to WB Yeats’s Introduction to Gitanjali. I read Rabindranath every day, to read one line of his is to forget all the troubles of the world”, is what a reader told the Irish Nobel Laureate about the impact of the Bengali Nobel Laureate’s works on his people.
Reading a good book does wonders for a stressed mind. I sincerely hope we can inculcate this in our young, who will be dealing with unfathomable stress in the years to come.
Imagination must be one of the weapons we arm them with, and what better way than through the pages of an engaging book?
Literature motivates critical thinking
To live a fulfilling life, the young must think critically. It helps people figure out what the truth is and work through problems. Literature is an excellent way for students to learn how to think critically. To fully understand what’s going on in the book, readers must pay attention to details, form relationships, and develop their individual ideas. Books are frequently used by teachers to help expand students’ vital thinking skills.
Literature can motivate kindness
Empathy is necessary at every level of society, or else we descend into a ruthless world. The study of literature has shown that reading can make one feel more empathic. Fictional literature has a particularly powerful effect on empathizing. Why? Because it forces the reader to put themselves in the shoes of more complex characters. Scientists at Princeton’s Social Neurosciences lab have discovered that reading fiction regularly improves one’s ability to guess and gauge what other people are feeling and thinking. That, of course, is the first step to compassion.
(Literary Festivals) साहित्य उत्सव की प्रासंगिकता और महत्व
अंत में , मैं साहित्य महोत्सवों की प्रासंगिकता और उसके महत्व की ओर रुख करना चाहता हूं जो हमारे सांस्कृतिकपरिदृश्य का एक महत्वपूर्ण पहलू बन गए हैं। वे लेखकों, प्रकाशकों और पाठकों को एक साथ आने औरसाहित्यिक कार्यों के साथ-साथ हमारे समाज पर इसके प्रभाव के बारे में सार्थक चर्चा में शामिल होने के लिए एकमंच प्रदान कर रहे हैं।
मुझे उन्मेष’में आकर और साहित्य अकादमी और संस्कृति मंत्रालय द्वारा साहित्य पर एकाग्र ध्यान केंद्रित करते हुए देखकरअत्यंत प्रसन्नता हो रही है।अफसोस की बात है कि हाल के दिनों में कई साहित्यिक उत्सवों के व्यावसायीकरण के कारण मूल उद्देश्य से हटगया है और अब ध्यान गंभीर साहित्यिक चर्चा के बजाय सेलिब्रिटी उपस्थिति और विपणन अवसरों पर केंद्रित होगया है।
अब समय आ गया है कि हम प्रत्येक लेखक और विद्वान को उनके वास्तविक मूल्य के लिए पहचानें, चाहे वेअंग्रेजी में सबसे ज्यादा बिकने वाले लेखक हों या ग्रामीण क्षेत्रों के कम-ज्ञात क्षेत्रीय भाषा के लेखक हों, सभी कोउनकी उचित मान्यता दी जानी चाहिए। सभी भाषाओं के साहित्य के जश्न मनाने की जरूरत है, भले ही उन्हें कौनलिखता है – सेलिब्रिटी लेखक या कम-ज्ञात प्रतिभा। इसके लिए, साहित्यिक उत्सवों की बागडोर उन लोगों केहाथों में सौंपी जानी चाहिए जो वास्तव में साहित्य से प्यार करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे यहां उन्मेशा में होता है।
दुनिया की निगाहें हम पर हैं, उन्मेशा जैसे साहित्यिक उत्सव हमारे सांस्कृतिक और वास्तव में सभ्यतागत पहिए काएक महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकते हैं।
हमें सीमित का पता लगाने और अनंत को अपनाने में मदद करने के लिए, या जैसा कि टैगोर ने संक्षेप में कहा है:
“ সীমা আছে এ কথা যেমন নিশ্চিত, অসীম আছেন এ কথা তেমনি সত্য।”
“Sima ache e katha jemon nischit, ashim achen e katha temoni satyo”
अर्थात सीमा का होना जैसे निश्चित है वैसे ही असीम का होना भी सत्य है।
एक सार्थक पहल के लिए सभी को आभार।
The above is an excerpt from the presentation by Sundeep Bhutoria during the UNMESHA- International Literature Festival in Bhopal on the panel ‘Value of Literature’.